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सावन में शिवलिंग पर दूध जरुर चढ़ाएं लेकिन बर्बाद ना करें नहीं तो लगेगा ‘पाप’

इस दौरान भक्त अनजाने में कई पाप भी कर बैठता है। जैसेकि दूध जोकि वो शिवलिंग पर लोग भक्तिभाव में चढ़ाते हैं। लेकिन साथ ही साथ अगर उस दूध की बर्बादी हो रही है। तो इससे भगवान शिव को प्रसन्न करना मुश्किल हो जाता है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को विश्वानाथ और कालों का काल महाकाल कहा जाता है। लोगों का विश्वास है कि भगवान शिव की भक्ति से उन्हे सांसारिक दुखों से छुटकारा मिल जाता है। इसीलिए हर वर्ष सवान के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। क्योंकि सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है। भक्त भगवान शिव को जल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, कर्पूर, दूध, चावल, चंदन, भस्म और रुद्राक्ष आदि उन्हे आर्पित कर प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। लेकिन इस दौरान भक्त अनजाने में कई पाप भी कर बैठता है। जैसेकि दूध जोकि वो शिवलिंग पर लोग भक्तिभाव में चढ़ाते हैं। लेकिन साथ ही साथ अगर उस दूध की बर्बादी हो रही है। तो इससे भगवान शिव को प्रसन्न करना मुश्किल हो जाता है।

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Photo Source: Lord Shiva

दूध जरुर चढ़ाएं लेकिन बर्बाद ना करें-

शिवलिंग पर दूध को चढ़ाने से पून्य मिलता है, ऐसा हमारे शास्त्रों में भी लिखा गया है। इसके लिए विशेष मंत्र और कर्मकांड की प्रक्रिया भी मौजूद है। लेकिन उन्ही शास्त्रों में और भी कई बाते लिखी हैं जिनको आज के तमाम मंदिर और पूजारियों के साथ भगवान के भक्त भी भूल गए हैं या फिर नहीं जानते हैं। कर्मकांड से ऊपर पुण्य कर्म को रखा गया है। जिसको करने से आप नर सेवा यानी की नारायण सेवा करते हैं। यहां नारायण से मतलब सिर्फ भगवान विष्णु नहीं बल्कि विश्वनाथ शिव भी हैं। कलयुग के तमाम मंदिरों में जहां शिवलिंग को स्थापित किया गया है वहां चढ़ने वाला दूध और जल गंदी नालियों में जाकर बह जाता है। जिससे दूध की बर्बादी के साथ ही आपको किसी तरह का पुण्य भी नहीं मिल पाता है। मूल रुप से देखा जाए तो शिवलिंग पर चढ़ने वाला ये दूध शिवलिंग से होकर नीचे की तरफ जाता है ऐसे में ये दूध सिर्फ दूध नहीं रह जाता बल्की भगवान शिव का चरणामृत बन जाता है।

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Photo Source: Lord Shiva

भगवान शिव के चरणामृत को नालीयों में बहाने से लगेगा ‘पाप’-

चरणामृत यानी की भगवान के चरणों का अमृत। जोकि भगवान के चरणों से होता हुआ बह रहा है। चरणामृत मिल जाए तो पापियों का जीवन भी स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ती कर लेता है। दूध जोकि शिवलिंग पर चढ़ाया जा रहा है। शिवलिंग पर चढ़ने के बाद वो सिर्फ दूध ही नहीं रहता। बल्की भगवान शिव के शिवलिंग का चरणामृत बन जाता है। जिसे बड़े आसानी के साथ आप सभी भक्त नालियों में बह जाने के लिए छोड़कर चले आते हैं। अब आप ही सोचिए ऐसे में भगवान शिव आप से प्रसन्न होंगे या फिर आपको ‘पाप’ लगेगा। ऐसा शास्त्र खुद कहते हैं। इसीलिए आप कोई भी पूरानी फोटो निकाल कर देखिए उसमें आपको शिव लिंग पर हो रहे जल-अभिषेक, दूध-अभिषेके नीचे एक परात या थाली नजर आएगी।

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Photo Source: Charnamrit

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चरणामृत समान दूध को नालियों में बहने से कैसे रोकें-

सबसे महत्वपूर्ण की कैसे इस पाप से बचा जाए और इस बर्बादी को रोका जाए। पहला उपाय मंदिर के पूजारी के लिए कि वो ऐसी कोई व्यवस्था करें कि शिवलिंग पर चढ़ने वाला दूध और जल नाली में ना जाकर किसी बड़े से पात्र में जाए। जहां इकट्ठा हो रहे इस दूध और पानी के इस्तेमाल से शिवभक्तों के लिए मिठाई, खीर अन्य प्रसाद या विशेष प्रकार का चरणामृत बनाया जा सके। मंदिर में आने वाले सभी शिवभक्तों को ये प्रसाद दिया जाए।

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Photo Source: Shiva Wallpaper

दूसरा उपाय ब्रम्हा मुहुर्त है-

समय के अनुसार मंदिर में शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाए। शास्त्रों के अनुसार सुबह ब्रम्ह मुहुर्त को सबसे अच्छा माना गया है। ऐसे में अगर सिर्फ ब्रम्ह मुहुर्त में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की अनुमति दी जाए तो बर्बादी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। साथ ही असली शिव भक्तों की पहचान भी हो सकती है। क्योंकि बहुत से लोग सावन में दिखावा करने के लिए भी शिवलिंग पर दूध चढ़ा देते हैं। ऐसे में साफ और सुरक्षित दूध को इकट्ठा कर मंदिर के पूजारी उसे भक्तों के लिए बनने वाले प्रसाद के रुप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

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Photo Source: Shiva

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भोलेनाथ के साथ ना करें ऐसा विश्वासघात-

भगवान शिव ने खुद अपने शरीर पर भस्म लगाकर सबकुछ भक्तों को दे दिया है। भोलेनाथ के दिए हुए आशिर्वाद से ही उनके भक्तों के पास सबकुछ है। क्योंकि अक्सर पूजा-पाठ करते हुए हम कहते हैं कि ‘भगवान हम आपका आपको ही अर्पण करते हैं’ ऐसे में दूध जोकि गाय या भैंस का होता है वो भी तो भगवान का ही है। सोचने वाली बात ये है कि हम फिर ऐसे बहुमूल्य तरल पदार्थ को नालियों में कैसे बहा सकते हैं जबकि शिवलिंग से चढ़ने वाला जल हो या दूध दोनों ही भगवान शिव के चरणामृत होते हैं।

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