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मात्र 19 साल की उम्र में ए आर आनंद ने फार्मा क्लीनिक्स कंपनी ओयेकेयर शुरु की, अब वैल्यूएशन 1 मिलियन डॉलर के पार पहुंचा

19 वर्ष की आयु में जब लड़के दोस्ती-प्यार- मोहब्बत -ब्रेकअप की दुनिया में उलझ जाते हैं।, वे करियर के बारे में सोच नहीं पाते है कि, मुझे आगे क्या करना है।

19 वर्ष की आयु में जब लड़के दोस्ती-प्यार- मोहब्बत -ब्रेकअप की दुनिया में उलझ जाते हैं।, वे करियर के बारे में सोच नहीं पाते है कि, मुझे आगे क्या करना है। इस उम्र में कि कैसे ए आर आनंद ने वर्ल्ड स्टैंडर्ड प्राइमरी केयर के साथ हाई क्वालिटी की सस्ती जेनेरिक दवाएं प्रदान करके न्यूनतम 60% भारतीयों की मदद करने के लिए एक फार्मा क्लीनिक कंपनी ओयेकेयर शुरू की। कुछ महीने पहले कई महान हस्तियों, बिजनेस टायकून एवं निवेशकों ने ओयेकेयर को सपोर्ट एवं भारी भरकम निवेश किया। साथ ही कंपनी का टर्नओवर लगातार बढ़ने के कारण अब वैल्यूएशन एक मिलियन डॉलर के पार पहुंच गया है।

आइए ए आर आनंद के एक इंटरव्यू के माध्यम से ओयेकेयर के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं।

सबसे पहले आप ये बताए आपके दिमाग में ओयेकेयर (OyeCare) का आइडिया कैसे आया।

सबसे पहले मुझे यहां बुलाने के लिए आपका धन्यवाद, मैं एक दिन एक अस्पताल में था, जहां एक मरीज की मौत हो गई थी। जब मैंने पूछा कि उसकी मृत्यु कैसे हुई? मुझे पता चला कि उनके परिवार ने कुछ दवाएं लाई थीं, लेकिन पैसे की कमी के कारण कुछ दवाएं नहीं लाई जा सकीं। अब जब मैं यही बात पूछने के लिए एक फार्मेसी स्टोर गया तो मुझे जवाब मिला- “लगभग दवाएं ब्रांडेड दवाएं हैं, जिस पर रिटेलर को केवल 10-15% का प्रोफिट मार्जिन मिलता है। साथ ही दिन-प्रतिदिन फार्मा मॉल एवं ऑनलाइन फ़ार्मेसी बढ़ने के कारण या तो काफी कंपीटिशन का सामना करना पड़ रहा है या कई सिंगल फ़ार्मेसी स्टोर बंद होने के कगार पर है। यह वास्तविकता में हो रहा है, आप मुझे बताएं कि हम इस स्थिति में भारी छूट देकर सस्ती दवाएं कहां से दे सकते हैं।

उस समय मुझे लगा कि नया स्टार्टअप शुरू किया जाना चाहिए, ताकि मरीज को भी फायदा हो सके साथ ही सिंगल फार्मेसी स्टोर भी इस तरह के प्रतिस्पर्धी बाजार में जीवित रह सकें। क्योंकि एक फार्मेसी स्टोर बंद होने से पूरा परिवार प्रभावित होता है।

तो आप अगली प्रक्रिया कैसे किए इसका मतलब है कि आपका अगला स्टेप क्या था?

मैंने रिसर्च करना शुरू कर दिया। रिसर्च में, मुझे पता चला कि ऐसे एक या दो मरीज नहीं हैं, बल्कि लगभग 60% भारतीय आबादी इस समस्या का सामना कर रही है।. यह भी पाया गया कि लगभग 10 लाख फार्मेसी स्टोर भी इसी समस्या का सामना कर रहे हैं।

जब हमने और अधिक रिसर्च किया, तो मुझे पता चला कि भारत में 85-90% दवाएं जेनेरिक दवाएं हैं, जिन्हें कंपनियों द्वारा “ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग” करके उन्हें ब्रांडेड महंगी दवाओं के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह मुख्य कारणों में से एक के रूप में उभरा है जिसके चलते फार्मेसी स्टोर को बहुत कम प्रोफिट मार्जिन मिलता है, साथ ही फार्मा मॉल और ऑनलाइन फ़ार्मेसी से लगातार कंपीटिशन के कारण, वे रोगियों को सस्ती दवाएं प्रदान करने में असमर्थ होते है।

हमने गवर्नमेंट अप्रूव्ड एवं डब्लु एच ओ जीएमपी सर्टिफाइड मैन्यूफैक्चरिंग साइट से बात करना शुरू कर दिया। तो वहां बताया गया कि दवाओं की वास्तविक कीमत बहुत कम है।

अब मैंने रिस्क लेने का फैसला किया। शुरुआत में, घर में किसी को सूचित किए बिना, एक रिश्तेदार को काफी समझाने के बाद, हमने 17 लाख रुपये लिए और अंत में कंपनी शुरू की जिसका नाम “ओयेकेयर” था।.

आपने हेल्थकेयर मार्केट में ओयेकेयर (OyeCare) को कैसे लांच किया?

मैंने अपने कंपनी के मॉडल को एक फार्मेसी स्टोर को समझाकर ओयेकेयर को फ्रैंचाइज़ी सिस्टम में लांच किया। जहां मैंने कुछ राशि फ्रैंचाइज़ी शुल्क लेकर उन सिंगल फ़ार्मेसी स्टोरं को ओयेकेयर (OyeCare) ब्रांड और फ्रैंचाइज़ी सुविधा दी एवं वहाँ क्वालिटी जेनरिक मेडिसिन सस्ते दामों पर उपलब्ध कराना शुरू किया। जिसके कारण रोगी को 80% तक के भारी भरकम छूट पर सस्ती दवाएं मिलनी शुरू हो गईं, साथ ही उन सिंगल फार्मेसी स्टोर मालिकों को भी 40% तक का हाई प्रोफिट मार्जिन मिलना शुरू हो गया।

क्या आपने अपने फ्रेंचाइजी ऑनर के लाभ को बढ़ाने या रोगियों की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए कोई और कदम उठाया?

यह विचार जमीनी स्तर पर सफल हो गया, लेकिन मैंने देखा कि कई लोग स्टैंडर्ड प्राइमरी केयर के अभाव में सेल्फ मेडिकेशन कर रहे है , जो उन्हें अधिक अस्वस्थ बनाता है।. इसलिए मैंने फिर से रिसर्च करना शुरू कर दिया कि अब क्या किया जाना चाहिए।

अब मुझे लगने लगा कि मुझे एक क्लिनिक भी शुरू करना होगा जो स्टैंडर्ड प्राइमरी केयर पर विशेष ध्यान देगा, जिससे न केवल रोगी को लाभ होगा, बल्कि हमारे फ्रैंचाइजी मालिक को भी काफी लाभ होगा।

हमने प्राइमरी केयर का एक स्टैंडर्ड तरीका बनाया। अब रोगी को हमारे फ्रैंचाइज़ी आउटलेट के माध्यम से स्टैंडर्ड तरीके से प्राइमरी केयर मिलना शुरू हो गया।ओयेकेयर (OyeCare) फ्रैंचाइज़ी ऑनर को भी 200% तक के प्रोफिट मार्जिन मिलना शुरू हो गया।

आपने संघर्ष और क्या क्या चुनौती क्या सामना किया ?

कभी-कभी कुछ लोग उम्र के बारे में मजाक करते थे और कभी-कभी कुछ लोगों ने कहा कि आप इसे शुरू नहीं कर पाएंगे। पहले जाकर नौकरी करो। लेकिन जैसा कि, मेरे दिमाग में एक जिद्द आ गया था कि यह समस्या जो हमने अस्पताल के दौरान देखी है, हम निश्चित रूप से इसे हल करने के लिए एक समाधान ढूंढ लेंगे। जब एक रिश्तेदार को बहुत समझाने के बाद, 17 लाख का सीड फंड प्राप्त हुआ, फिर मुझे हौसला मिला। जब ओयेकेयर जमीनी स्तर पर सफल होने लगे, तो कुछ कंपनियों ने हमारे मिशन को रोकने के लिए हम पर बहुत दबाव डाला। लेकिन हम अपने मिशन पर लगातार काम करना जारी रखे। बाद में कई महान हस्तियों, बिजनेस टाइकून और देश के निवेशकों का समर्थन और निवेश प्राप्त करने पर, ओयेकेयर (OyeCare) कंपनी भारत की सबसे तेजी से बढ़ती फार्मा क्लीनिक कंपनी बन गई साथ ही कंपनी का टर्नओवर लगातार बढ़ने के कारण अब वल्यूएशन एक मिलियन डॉलर के करीब पहुंच गया है।

ओयेकेयर (OyeCare) कंपनी का मिशन और विजन क्या है?

डे ज़ीरो से हमारी कंपनी का मिशन वर्ल्ड स्टैंडर्ड प्राइमरी केयर के साथ सस्ती कीमत पर क्वालिटी जेनेरिक दवाएं प्रदान करके न्यूनतम 60% भारतीयों की मदद करना है। एवं विजन फार्मेसी उद्योग की एक नई दुनिया बनाना है।

ओयेकेयर (OyeCare) कंपनी का सिद्धांत क्या है?

ओयेकेयर (OyeCare) कंपनी का सिद्धांत आम लोगो की सेवा भी, फ्रैंचाइजी ऑनर को रोजगार भी मुहैया कराना है।

आज ए आर आनंद, अपने मिशन, विजन और सिद्धांतों के माध्यम से भारत के युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं, इतनी कम उम्र में काफी संघर्ष और चुनौतियों के बाबजूद इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल किए है, लाखों लोगों के लिए प्रेरणा के श्रोत है। इनको शुभकामनाएं है कि ये अपने कामों के जरिए स्वास्थ्य सेवा व्यवसाय की दुनिया में और भी अधिक सफलता प्राप्त करे।

(नोट:  सोर्स – ओयेकेयर प्रेस रिलीज)

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