इस जन्माष्टमी इन पांच तरीकों से भगवान श्री कृष्ण को करें प्रसन्न
इस वर्ष 2021 में 30 अगस्त को भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी (Janmashtami 2021) का उत्सव मनाया जाएगा। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 30 अगस्त को भाद्र मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी है।
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इस वर्ष 2021 में 30 अगस्त को भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी (Janmashtami 2021) का उत्सव मनाया जाएगा। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 30 अगस्त को भाद्र मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी है। इसी तिथि पर द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। भगवान के जन्म के महोत्सव को उनके भक्त बहुत ही हर्षो-उल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन भगवान को प्रसन्न करने के लिए भक्त तरह तरह के प्रयत्न करते हैं। इस लेख में हम आपको उन माध्यमों के बारे में बताएंगे जिसे करने पर आप भी भगवान को प्रसन्न कर सकते हैं।
Janmashtami 2021 पर भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने का पहला मार्ग-
जिनका होठ मधुर है, मुख मधुर है, नेत्र, मुस्कान, ह्रदय और जिनका चलना भी मधुर है, यानी की मधुरता के सम्राट भगवान श्री कृष्ण की मधुर वाणी श्रीमद्भगवद्गीता को इस दिन जरुर पढ़ना, सुनना और दूसरो को भी सुनाना चाहिए। इसी के साथ इस पावन तिथि पर हरि नाम कीर्तन और कथा का गुणगान करना चाहिए। खासकर की महामंत्र “हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे, हरे राम हरे राम, राम-राम हरे-हरे” का कीर्तन या जाप जरुर करना चाहिए। हो सके तो इस दिन कम से कम 16 बार तुलसी की माला करें। एक माला में 108 बार हरि नाम लेना होता है। इससे ना सिर्फ भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं बल्की कलयुग में वो आपकी कलयुगी माया से रक्षा भी करते हैं।
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दूसरा मार्ग है भगवान श्री कृष्ण के नाम व्रत रख कर-
भगवान के प्रति समर्पण और प्रेम दिखाने का व्रत भी एक सर्वश्रेष्ठ मार्ग माना गया है। जो भक्त इस दिन भगवान के नाम व्रत रखते हैं और जन्माष्टमी की कथा का गुणगान करते हुए, खुद भी सुनते हैं और दुसरों को भी सुनाते हैं भगवान श्री कृष्ण ऐसे भक्तों का रक्षा कवच खुद बन जाते हैं। लेकिन व्रत को कैसे करें, व्रत की क्या विधि है इसके लिए आपको एक अच्छे पूजारी जोकि कृष्ण प्रेमी हों उनसे संपर्क करना चाहिए। क्योंकि सभी भगवान के व्रत रखने और व्रत को तोड़ने का अपना नियम और समय विधि है।
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भगवान श्री कृष्ण को मिष्ठान और स्वादिष्ट पकवान बहुत पसंद हैं- तीसरा मार्ग
भगवान श्री कृष्ण जब पांडव का संदेश लेकर हस्तिनापुर गए थे। तब उन्होने राजा घृतराष्ट्र की सभा में उपस्थित होने से पहले धर्मराज विदुर के घर में विश्राम किया था। जहां भगवान श्री कृष्ण जब अपनी बुआ कुंति, विदुर और विदुर की पत्नी के साथ भोजन करने बैठते हैं। तो देखते हैं कि खाने में ना ही कोई पकवान है और ना ही कोई स्वादिष्ट व्यंजन। जिसपर भगवान कृष्ण कहते हैं कि ‘बुआ तुम्हे तो पता ही है ना मुझे मिष्ठान कितने प्रिय हैं, फिर भी ये रुखा सुखा खाना ही क्यों’। बुआ कुंति और विदुर का जवाब युद्ध की चिंता को लेकर साफ रहता है। लेकिन भगवान श्री कृष्ण सब कुछ सुन मुस्कुराते हुए उस सादे भोजन को भी पकवान में बदल देते हैं। आप भी इस दिन घर में पकवान बनाएं, मिष्ठान बनाएं और जो भी बनाएं, उसे बनाने के बाद सर्व प्रथम भगवान श्री कृष्ण को भोग लगा दें। फिर देखिए उस व्यंजन का कमाल। वो पकवान खुद में ही भगवान का प्रसाद बन जाएगा जैसा कि हस्तिनापुर में हुआ था।
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चौथा मार्ग है खुद के घर को भगवान कृष्ण का मंदिर बना दें-
जब घर में किसी का जन्म दिन होता है तब हम क्या करते हैं। जाहिर सी बात है कि घर को सजाते हैं, साफ-सफाई करते हैं, शाम के समय लाइट लगाकर, दिया जलाकर, घर में सब नए-नए कपड़े पहनते हैं। खासकर की उस बालक या बालिका को नए कपड़े के साथ ऐसा मेअकप किया जाता है। ताकि लोग दूर से देखकर ही घर और जिसका जन्मदिन है उसे पहचान लें। बस यही आपको भी भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन पर उनके लिए करना है। प्रेम भाव से घर की सफा-सफाई से लेकर, सजावट और रंगोली तक सब कुछ आपको भगवान के लिए करना है। ताकि ऐसा लगे कि भगवान मथुरा में ही बल्की आपके घर में ही जन्म लेने वाले हैं। फिर देखिए भगवान का प्यार आपके लिए। भगवान आपके लिए सफलता के सभी मार्गों को खोल देंगे।
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सावन में शिवलिंग पर दूध जरुर चढ़ाएं लेकिन बर्बाद ना करें नहीं तो लगेगा ‘पाप’
Janmashtami के दिन पांचवा मार्ग दान का है-
इस दिन आप पूर्ण श्री कृष्ण भगवान की भक्ति भाव से उनके मंदिर में जाएं। उनकी उर्जा को उनके कीर्तन में, उनके नाम में महसूस करें। और फिर सच्चे मन से दान करें। दान ऐसा जिसे करने से आपको कोई हानि ना हो, पश्चाताप ना हो, परेशानी ना हो और आप दान करने के बाद उसे भूल जाएं। नदी में बहती जल धार की तरह। तभी आपको उस दान का पुण्य प्राप्त होगा। यदि आप किसी चीज को पाने के भाव से दान करते हैं तो आपको पुण्य नहीं मिलेगा। क्योंकि लेन देन कर्मकांड में होता है। भगवान के प्रेम में लेन-देन जैसा कोई शब्द नहीं। यह दान आप दीन-दयाल को भी कर सकते हैं। दान किसी भी माध्यम में हो सकता है। पैसे से लेकर खाना, कपड़ा आदी।
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यह हैं वह पांच माध्यम जिनकों करने से आप अवश्य ही जन्माष्टमी (janmashtami) के इस पावन अवसर पर भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न कर सकेंगे। लेख श्रेय- हरे कृष्ण हरे राम मंदिर।